Monday 20 February 2017

बहुत बेकैफ लम्हे है , अजीब बोझल से सपने है।

बहुत बेकैफ लम्हे है ,
अजीब बोझल से सपने है।
न गम से दिल बहलता है,
न खुशियां रास आती है।

न जाने ज़िन्दगी हमको,
क्यों ऐशे आज़माती है।
बहुत तकलीफ में हम,
बहुत मुस्कुराते रहते है।

गमो से दोस्ती करके,
वफ़ा ऐसे निभाते है।


अजीव सी ज़िन्दगी है ,
अजीव सा मोड़ आता है।

न उसको याद रखते हैं,
न उसको भूल पाते हैं।

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